भाई दूज 2023 कब है? भाई दूज की कथा Bhai dooj ki katha

भाई दूज 2023 कब है? भाई दूज की कथा Bhai dooj kab hai ? Bhai dooj ki katha , bhai dooj ki kahani

भाई दूज 2023 कब है?

भाई दूज 2023 में 15 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-सौभाग्य की कामना करती हैं।

भाई दूज क्यों मनाते हैं?

भाई दूज को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों के लिए विशेष पकवान बनाती हैं और उन्हें तिलक लगाकर उनकी आरती करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।

भाई दूज की कथा

एक बार यमुना नदी के किनारे एक यमराज और उनकी बहन यमुना का निवास था। यमराज बहुत ही क्रूर थे और उन्हें मृत्यु का देवता माना जाता था। यमुना अपनी बहन के इस क्रूर स्वभाव से बहुत दुखी थीं। एक दिन यमराज ने अपने भाई यमुना को बताया कि वह सभी जीवों की मृत्यु का कारण बनेंगे। यमुना यह सुनकर बहुत दुखी हुईं और उन्होंने अपने भाई से कहा कि वह सभी जीवों को मृत्यु से बचाएंगे। यमुना ने अपने भाई को एक शर्त रखी कि यदि कोई भी भाई अपनी बहन से मिलने के लिए यमुना नदी के किनारे आएगा, तो वह उसे जीवित छोड़ देगा। यमराज ने अपनी बहन की शर्त मान ली।

भाई दूज के दिन, बहनें अपने भाईयों को यमराज मानकर उन्हें तिलक लगाती हैं। इस प्रकार, बहनें अपने भाईयों को यमराज से बचाती हैं और उन्हें लंबी उम्र का आशीर्वाद देती हैं।

भाई दूज की कहानी

भाई दूज की कहानी बहुत पुरानी है। एक समय की बात है, एक बहन थी जिसका नाम यमी था। उसके भाई का नाम यमराज था। यमराज एक दंडाधिकारी थे और हमेशा लोगों को दंड देते थे। यमी अपने भाई से बहुत प्यार करती थी और उसे दंड देने से रोकना चाहती थी। एक दिन, यमी ने यमराज से कहा कि वह उन्हें एक दिन के लिए अपनी कैद से मुक्त कर दे। यमराज ने यमी की बात मान ली और एक दिन के लिए कैद से मुक्त हो गए। इस दिन, यमी ने अपने भाई यमराज को तिलक लगाया और उन्हें भोजन कराया। यमराज यमी की सेवा से प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने भाई को दीर्घायु प्रदान की। तब से, यह परंपरा चली आ रही है कि भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाती हैं और उन्हें भोजन कराती हैं।

भाई दूज की पूजा विधि

भाई दूज के दिन, बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और साफ-सुथरे कपड़े पहनती हैं। इसके बाद, वे अपने भाईयों को घर बुलाती हैं और उन्हें तिलक लगाती हैं। तिलक में हल्दी, कुमकुम, चावल और दूध का प्रयोग किया जाता है। इसके बाद, बहनें अपने भाईयों की आरती करती हैं और उन्हें मिठाई और उपहार देती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।

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भाई दूज की कथा

एक समय की बात है, यमराज और यमुना बहनें थीं। यमराज भगवान सूर्य के पुत्र थे और यमुना भगवान विष्णु की पुत्री थीं। यमराज बहुत क्रूर थे और उनकी मृत्यु के बाद लोगों को नरक में भेज देते थे। यमुना अपने भाई से बहुत प्यार करती थीं और उन्हें क्रूरता से न मारने की विनती करती थीं। यमराज उनकी विनती मान लेते थे और लोगों को नरक में भेजने से पहले उन्हें एक मौका देते थे।

एक दिन, यमुना अपने भाई यमराज से मिलने गईं। उन्होंने अपने भाई को तिलक लगाया और उनकी लंबी उम्र की कामना की। यमराज बहन के प्रेम से प्रसन्न हुए और उन्होंने लोगों को नरक में भेजने से पहले उन्हें तीन मौके देने का वचन दिया।

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन यमराज भी अपनी बहन यमुना से मिलने आते हैं और बहन के तिलक से प्रसन्न होकर भाई की आयु बढ़ा देते हैं।

भाई दूज के शुभ मुहूर्त

2023 में भाई दूज के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • तिलक का शुभ मुहूर्त: 14 नवंबर, दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से दोपहर 3 बजकर 15 मिनट तक
  • 15 नवंबर, सुबह 10 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक

भाई दूज के महत्व

भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। यह दिन भाई-बहनों के बीच प्रेम और स्नेह को बढ़ावा देता है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर उन्हें लंबी उम्र और सुख-सौभाग्य की कामना करती हैं। भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं।

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